चंडीगढ़ जिला अदालत ने एक अहम फैसले में ड्रग्स तस्करी के आरोपी गगन उर्फ गोगी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने इस मामले को एक गंभीर अपराध बताते हुए कहा कि यह सिर्फ एक व्यक्ति का अपराध नहीं, बल्कि एक संगठित ड्रग नेटवर्क का हिस्सा है, जिसमें सभी आरोपी एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं। कोर्ट ने साफ किया कि ऐसे मामलों में किसी भी आरोपी को रियायत देना जनहित के खिलाफ होगा।
सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि गोगी लंबे समय से ड्रग सिंडिकेट में सक्रिय है और उस पर लगे आरोप बेहद संगीन हैं। वहीं, बचाव पक्ष के वकील ने तर्क दिया कि गोगी को झूठे केस में फंसाया गया है और वह 17 जनवरी से पुलिस हिरासत में है। वकील ने दावा किया कि उसके पास से कुछ भी बरामद नहीं हुआ और जो बरामदगी दिखाई गई है, वह नॉन-कॉमर्शियल मात्रा में है, जो एनडीपीएस कानून के तहत मामूली मानी जाती है।
इस पूरे केस की शुरुआत 2 जनवरी 2025 को हुई, जब पुलिस टीम ने गश्त के दौरान सेक्टर 25 के श्मशान घाट के पास आरती नाम की महिला को 30 ग्राम हेरोइन के साथ पकड़ा। पूछताछ में आरती ने खुलासा किया कि उसका पति और उसके सातों भाई कई सालों से नशा बेचते आ रहे हैं। आरती ने यह भी बताया कि उसका देवर गगन उर्फ गोगी भी इस नेटवर्क में शामिल है और वह हेरोइन लाने का काम करता है।
इस बयान के आधार पर पुलिस ने 17 जनवरी को गोगी को कालका, हरियाणा से गिरफ्तार किया। गोगी की निशानदेही पर पुलिस ने चंडीगढ़ के सेक्टर 38 डीएमसी इलाके में उसके घर से 24.82 ग्राम हेरोइन, 77.80 ग्राम चरस, 5 धारदार चाकू, एक नकली पिस्तौल और एक इलेक्ट्रिक तराजू बरामद किया। पुलिस पूछताछ में गोगी ने कबूला कि वह अमृतसर, फिरोजपुर और दिल्ली-एनसीआर से ड्रग्स लाकर चंडीगढ़ में सप्लाई करता था।
गोगी के बयान के आधार पर पुलिस ने पंजाब के लुधियाना से दो अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया है। इन सब तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने माना कि आरोपी गोगी का इस सिंडिकेट में अहम रोल है, और उसे जमानत देना न्याय और जनहित के खिलाफ होगा। ऐसे में अदालत ने उसकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया।