हिमाचल प्रदेश सरकार ने होटलों और व्यवसायिक इमारतों की सुरक्षा को लेकर बड़ा फैसला लिया है। अब राज्य के सभी होटल, गेस्ट हाउस, अपार्टमेंट और अन्य कॉमर्शियल भवनों में फायर फाइटिंग सिस्टम लगाना जरूरी होगा। यह नियम न केवल नए निर्माणों पर लागू होगा, बल्कि पुराने बने भवनों पर भी लागू रहेगा।
सरकार ने पुराने होटलों और व्यवसायिक ढांचों को दिसंबर 2025 तक का समय दिया है ताकि वे जरूरी अग्नि सुरक्षा उपकरण जैसे स्मोक डिटेक्टर, फायर अलार्म, वॉटर स्प्रिंकलर, फायर हाइड्रेंट और इमरजेंसी एग्जिट को लगवाकर संबंधित विभाग को रिपोर्ट सौंप सकें। बिना फायर सेफ्टी के अब भवनों को अनुमति नहीं मिलेगी।
यह फैसला नेशनल बिल्डिंग कोड के नियमों के तहत लिया गया है। अधिकारियों का कहना है कि यदि कोई होटल या कॉमर्शियल भवन इन दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करता, तो उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे। इसमें उनका लाइसेंस रद्द करना या भारी जुर्माना लगाना भी शामिल है।
पिछले कुछ समय में हिमाचल में हुए फायर हादसों से सरकार ने सख्त सबक लिया है। कई बार समय पर फायर फाइटिंग सिस्टम न होने के कारण जान-माल का भारी नुकसान हुआ है। अब सरकार की सख्ती के बाद होटल मालिकों में हलचल मच गई है और कई लोग तुरंत सिस्टम लगवाने की तैयारी में जुट गए हैं।
राज्य फायर विभाग ने होटल मालिकों की सहायता के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है और समय-समय पर निरीक्षण की योजना बनाई है। इसके जरिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी नियमों का पालन हो रहा है या नहीं।
धर्मशाला होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष अश्वनी बांबा का कहना है कि नए भवनों में तो यह व्यवस्था लागू करना आसान है, लेकिन पुराने ढांचों में तकनीकी परेशानियां आ सकती हैं। कई बार इसके लिए दीवारें तोड़नी पड़ सकती हैं, जिससे व्यवसाय प्रभावित हो सकता है। उन्होंने सरकार से वैकल्पिक व्यवस्था पर विचार करने का अनुरोध किया है।
सुझाव दिया गया है कि धर्मशाला जैसे घनी बस्तियों वाले इलाकों में फायर हाइड्रेंट लगाए जाएं ताकि आपात स्थिति में तत्काल पानी उपलब्ध हो सके और आग पर समय रहते काबू पाया जा सके। इस नियम से जहां पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, वहीं यह राज्य में पर्यटन कारोबार की जिम्मेदारी और जागरूकता भी बढ़ाएगा।