चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड (सीएचबी) ने शहर की गरीब बस्तियों में रह रहे ऐसे 100 से अधिक लोगों को बड़ा झटका दिया है, जो स्मॉल फ्लैट योजना के तहत आवंटित फ्लैटों में रह रहे हैं लेकिन वर्षों से लाइसेंस फीस का भुगतान नहीं कर रहे। इन सभी अलॉटियों को अब विभाग ने कारण बताओ नोटिस भेजा है, जिसमें उन्हें 14 दिनों के भीतर जवाब देने और बकाया राशि जमा करने के निर्देश दिए गए हैं। चेतावनी दी गई है कि अगर इस अवधि में जवाब नहीं मिला, तो मकान जबरन खाली कराए जाएंगे।
यह कार्रवाई हरियाणा हाउसिंग बोर्ड अधिनियम की धारा 51(1) के तहत की जा रही है, जो चंडीगढ़ में भी लागू होती है। बोर्ड ने बताया कि जिन लोगों तक नोटिस नहीं पहुंच सका, उनके फ्लैट के बाहर नोटिस चस्पा करने का काम शुरू हो गया है। हर डिफॉल्टर पर लाखों रुपये की बकाया राशि है, जो अब बोर्ड के लिए एक बड़ी समस्या बन चुकी है।
बता दें कि वर्ष 2006 में सीएचबी ने शहर की झुग्गी बस्तियों में रहने वाले गरीब लोगों को बेहतर जीवन देने के लिए करीब 20,000 फ्लैट आवंटित किए थे। इनमें से 18,138 फ्लैट स्मॉल फ्लैट योजना के अंतर्गत थे और बाकी करीब 2,000 फ्लैट किफायती किराया योजना में दिए गए। इन फ्लैटों की शर्तों में यह स्पष्ट लिखा गया था कि हर अलॉटी को हर महीने एक तय राशि जमा करनी होगी, जिसकी शुरुआत 800 रुपये मासिक से हुई थी। यह राशि समय के साथ बढ़ती रही। साथ ही यह शर्त भी थी कि ये फ्लैट न बेचे जा सकते हैं और न किराए पर दिए जा सकते हैं।
सीएचबी की वेबसाइट पर नियमित रूप से बकायादारों की सूची अपलोड की जाती है और ऑनलाइन भुगतान की सुविधा भी दी गई है। बावजूद इसके बड़ी संख्या में लोग नियमों का पालन नहीं कर रहे। वर्ष 2024 में भी विभाग ने 15 फ्लैट ऐसे लोगों के रद्द किए थे, जिन्होंने चेतावनी के बाद भी भुगतान नहीं किया।
अब एक बार फिर बढ़ती डिफॉल्टरों की संख्या के चलते सीएचबी सख्ती बरत रहा है। विभाग का कहना है कि यदि लोग तय समय में भुगतान नहीं करते हैं, तो आवंटन रद्द कर मकान खाली करवाए जाएंगे। यह कदम उन लोगों के लिए भी चेतावनी है जो सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं।