हिमाचल प्रदेश में आम जनता को आज रात से बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। एम्बुलेंस कर्मचारियों ने आज रात 8 बजे से 24 घंटे की हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है। अगर यह हड़ताल होती है, तो राज्य भर में एम्बुलेंस सेवाएं पूरी तरह से बंद हो जाएंगी और मरीजों को अस्पताल पहुंचाने की जिम्मेदारी खुद पर आ जाएगी।
एम्बुलेंस कर्मचारियों की तीन प्रमुख मांगे हैं। सबसे पहले, जिन 14 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला गया है, उन्हें दोबारा बहाल किया जाए। दूसरी मांग है कि जिन कर्मचारियों का ट्रांसफर हुआ है, उन्हें उनके पुराने स्टेशन पर वापस भेजा जाए। तीसरी मांग यह है कि उन्हें जनवरी 2020 में हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के अनुसार उचित मानदेय दिया जाए।
कर्मचारी लंबे समय से यह मांग कर रहे हैं कि उन्हें कोर्ट के आदेश के मुताबिक न्यूनतम वेतन दिया जाए, लेकिन अब तक सरकार और एम्बुलेंस सेवा कंपनी ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें केवल करीब 11,300 रुपये महीना वेतन दिया जा रहा है, जो बहुत कम है।
राज्य में करीब 1,400 एम्बुलेंस कर्मचारी हैं, जिनमें से कई पिछले 15 सालों से सेवा दे रहे हैं। अपनी मांगों को लेकर इन कर्मचारियों ने ‘सीटू’ संगठन के नेतृत्व में यूनियन बनाई है। यूनियन बनाने के बाद से कंपनी ने कई कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया और कुछ को दूसरे स्थानों पर ट्रांसफर कर दिया। इससे कर्मचारियों में नाराजगी है।
इस नाराजगी के चलते कर्मचारी अब हड़ताल करने जा रहे हैं। यूनियन के महासचिव बालकराम ने कहा है कि अगर मांगे नहीं मानी गईं, तो आज रात 8 बजे से सभी एम्बुलेंस सेवाएं बंद कर दी जाएंगी। वहीं, सीटू नेता विजेंद्र मेहरा ने साफ कहा कि कंपनी हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर रही है और कर्मचारियों के साथ अन्याय कर रही है।
हड़ताल के दौरान सभी जिला मुख्यालयों पर एम्बुलेंस कर्मचारी प्रदर्शन करेंगे। इसके साथ ही शिमला स्थित एनएचएम कार्यालय के बाहर भी विरोध किया जाएगा। कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो यह आंदोलन और लंबा चल सकता है। इस हड़ताल का सीधा असर मरीजों पर पड़ेगा, जिन्हें इमरजेंसी में अस्पताल पहुंचने के लिए एम्बुलेंस सेवा नहीं मिल पाएगी। इससे स्वास्थ्य सेवाओं में अव्यवस्था की स्थिति बन सकती है।