हरियाणा के हिसार जिले में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां पिछले 25 वर्षों से एक व्यक्ति खुद को डॉक्टर बताकर इलाज कर रहा था। उसने बाकायदा एक अस्पताल तक खोल रखा था। सीएम फ्लाइंग की टीम ने इस फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया।
यह कार्रवाई शुक्रवार को गांव बालसमंद स्थित जांगड़ा अस्पताल में की गई। जब टीम पहुंची, तो वहां मरीजों का इलाज चल रहा था। टीम ने अस्पताल संचालक धर्मपाल से डॉक्टरी की डिग्री मांगी, लेकिन वह कोई वैध मेडिकल डिग्री नहीं दिखा सका। धर्मपाल का कहना था कि उसके पास इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ‘आयुर्वेद रत्न’ की डिग्री है, पर वह एलोपैथिक दवाएं देता है। जांच के दौरान यह भी सामने आया कि धर्मपाल ने अस्पताल में दो ऐसे युवकों को हेल्पर के रूप में रखा हुआ था जो इंजेक्शन लगाते थे और दवा देते थे। इन दोनों के पास भी कोई डिग्री नहीं थी। यानी इलाज कर रहे लोग न तो प्रशिक्षित थे और न ही अधिकृत।
टीम को अस्पताल में चार बेड, एक ऑक्सीजन सिलेंडर, बीपी मशीन और दो अस्पतालों के लेटरहेड बरामद हुए। साथ ही, अस्पताल के भीतर ‘अजय मेडिसिन सेंटर’ नाम की एक मेडिकल दुकान भी चल रही थी। छापेमारी की खबर जैसे ही गांव में फैली, वहां के अन्य फर्जी मेडिकल स्टोर संचालक डर के मारे अपने-अपने शटर गिराकर भाग निकले। अनुमान है कि बालसमंद गांव में इस अस्पताल के सहारे करीब 10 अवैध मेडिकल स्टोर चल रहे थे।
टीम की कार्रवाई करीब 11 घंटे तक चली। इस दौरान धर्मपाल ने कुछ दस्तावेज जैसे मरीजों के आधार कार्ड की प्रतियां, विजिटिंग डॉक्टर का एफिडेविट और अपनी डिग्री की कॉपी सौंपने की कोशिश की। बाद में विजिटिंग डॉक्टर कृष्ण कुमार मोहन भी मौके पर पहुंचे और बताया कि वे केवल आयुर्वेदिक चिकित्सा जानते हैं और बिना वेतन के जुड़े हुए हैं।
पूरी जांच के बाद पुलिस को बुलाया गया। देर रात धर्मपाल के खिलाफ बिना वैध डिग्री के अस्पताल चलाने, गैरकानूनी तरीके से एलोपैथिक दवाएं इस्तेमाल करने और मरीजों की जान से खिलवाड़ करने के आरोप में केस दर्ज किया गया है।इस कार्रवाई से यह बात साफ हो गई है कि किस तरह बिना योग्यता के लोग लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। प्रशासन ने अब इस तरह के फर्जी अस्पतालों और मेडिकल स्टोर्स के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करने का संकेत दिया है।