Wednesday, August 13, 2025

पंजाब के स्कूलों में तेलुगु पढ़ाने की तैयारी पर विवाद, टीचर्स फ्रंट ने बताया छात्रों पर “भाषाई बोझ”

पंजाब सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा राज्य के सरकारी स्कूलों में तेलुगु भाषा पढ़ाने की योजना ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है। शिक्षा विभाग ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ मिशन के तहत 26 मई से 5 जून 2025 तक छठी से दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए तेलुगु भाषा आधारित समर कैंप आयोजित करने का आदेश जारी किया है। इस समर कैंप में बच्चों को तेलुगु भाषा की मूल बातें, गीत-संगीत, नृत्य, संस्कृति, व्यंजन और ऐतिहासिक स्थलों से परिचय कराया जाएगा।

हालांकि इस फैसले का शिक्षकों और विशेषज्ञों ने तीखा विरोध किया है। डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (DTF) ने इसे “गैर-वैज्ञानिक, नीति विरोधी और छात्रों पर चौथी भाषा का अनावश्यक बोझ” करार दिया है। उनका कहना है कि जब छात्र अपनी मातृभाषा पंजाबी में ही असफल हो रहे हैं, तो तेलुगु जैसी भाषा का बोझ देना बच्चों की पढ़ाई पर उलटा असर डालेगा।

- Advertisement -

टीचर्स फ्रंट ने बताया कि हाल ही में 12वीं कक्षा में 3800 से ज्यादा और 10वीं कक्षा में 1571 विद्यार्थी पंजाबी भाषा में फेल हुए हैं। इस स्थिति में भाषा सीखने की बजाय छात्रों को मजबूत आधार देने की जरूरत है। फिलहाल छात्र तीन भाषाएं—पंजाबी, हिंदी और अंग्रेजी पहले से पढ़ रहे हैं। ऐसे में तेलुगु को जोड़ना मानसिक रूप से बच्चों पर दबाव बनाएगा।

शिक्षकों का यह भी कहना है कि स्कूलों में पहले ही अध्यापकों की भारी कमी है और उन्हें नए-नए कार्यों में उलझाया जा रहा है। अब उन्हें तेलुगु भाषा सिखाने के लिए नोडल अधिकारी बनाना और बच्चों को समर कैंप में बांटना, समय और संसाधनों की बर्बादी है।

शिक्षकों की मांग है कि यह निर्णय या तो तुरंत वापस लिया जाए या स्वैच्छिक बनाया जाए। तेलुगु प्रशिक्षण उन्हीं छात्रों तक सीमित रखा जाए जो स्वेच्छा से इसमें भाग लेना चाहते हों। इसके साथ ही सरकार को चाहिए कि वह प्राथमिकता के आधार पर बच्चों की मातृभाषा पंजाबी में दक्षता बढ़ाने पर ध्यान दे।

डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट ने सरकार से अनुरोध किया है कि हर वर्ष की तरह अचानक प्रयोगों की बजाय, सत्र की शुरुआत में ही एक स्पष्ट गतिविधि कैलेंडर बनाया जाए और उसी के अनुसार योजनाएं चलाई जाएं। शिक्षकों को पहले से तय शिक्षण कार्यों में संलग्न रखा जाए, ताकि उनका ध्यान छात्रों की मूल शिक्षा पर केंद्रित रहे।

यह विवाद दर्शाता है कि शिक्षा नीति में कोई भी नया प्रयोग करने से पहले ज़मीनी हकीकत और विद्यार्थियों की मौजूदा जरूरतों को समझना बेहद जरूरी है।

E-Paper
RELATED ARTICLES

Most Popular




More forecasts: oneweather.org