Thursday, August 14, 2025

पंजाब यूनिवर्सिटी में आरक्षण नीति के उल्लंघन पर आयोग सख्त, 7 दिन में जवाब नहीं दिया तो होगी कार्रवाई

चंडीगढ़ स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी एक बार फिर विवादों में है। अनुसूचित जातियों के लिए तय आरक्षण नीति को सही ढंग से लागू न करने के आरोप में अब राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) ने सख्त रुख अपनाया है। आयोग ने यूनिवर्सिटी प्रशासन को अंतिम चेतावनी देते हुए साफ कहा है कि 7 दिन के भीतर जवाब दें, अन्यथा कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

इस मामले की शिकायत अंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन (ASA) ने की थी। उनका आरोप है कि यूनिवर्सिटी ने सीनेट और सिंडिकेट जैसी अहम कमेटियों में अनुसूचित जातियों के लिए तय आरक्षित सीटों को नजरअंदाज किया है। यह भारत सरकार की आरक्षण नीति का खुला उल्लंघन है और इससे सामाजिक न्याय की मूल भावना को ठेस पहुंची है।

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ASA ने यह शिकायत 20 अक्टूबर 2024 को आयोग को भेजी थी। आयोग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए 6 फरवरी 2025 को यूनिवर्सिटी को पहला नोटिस जारी किया था और 15 दिन में जवाब देने को कहा था। लेकिन यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।

अब 23 मई 2025 को आयोग ने अंतिम चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि यदि 7 दिन के भीतर जवाब नहीं आया तो आयोग संविधान और कानून के तहत कड़ी कार्रवाई करेगा।

ASA की मांगें स्पष्ट हैं –

  1. यूनिवर्सिटी की सभी कमेटियों में आरक्षित सीटों पर तुरंत नियमानुसार नियुक्तियां की जाएं।

  2. प्रशासन सार्वजनिक रूप से माफी मांगे और लिखित में दे कि भविष्य में आरक्षण नीति का पूरी तरह पालन किया जाएगा।

ASA ने यह भी कहा है कि वह सामाजिक न्याय, समान अधिकार और संविधान के संरक्षण के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेगा। इस मामले को लेकर अब सभी की नजर यूनिवर्सिटी प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी हुई है।

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