Thursday, August 14, 2025

PGI चंडीगढ़ में डॉक्टर से मारपीट: गले पर निशान देखकर भड़के परिजन, ICU से बाहर घसीटकर थप्पड़ मारे

चंडीगढ़ के प्रतिष्ठित पीजीआई अस्पताल में डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। हाल ही में नियोनेटोलॉजी विभाग में एक जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर के साथ परिजनों द्वारा की गई मारपीट ने अस्पताल प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा दिए हैं।

मामला तब शुरू हुआ जब एक नवजात बच्चे के इलाज के दौरान डॉक्टरों ने उसे IV कैनुला लगाने की प्रक्रिया पूरी की। इसके बाद नर्सिंग स्टाफ ने देखा कि बच्चे के गले पर हल्के निशान नजर आ रहे हैं। जब यह बात परिजनों को पता चली तो उन्होंने गुस्से में आकर 4-5 अन्य रिश्तेदारों को बुला लिया। आरोप है कि उन्होंने डॉक्टर सिद्धार्थ चक्रवर्ती को ICU से कॉलर पकड़कर घसीटा और थप्पड़ मारे। करीब 10 मिनट तक डॉक्टर बाहर फंसे रहे और बड़ी मुश्किल से अंदर आ सके।

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घटना की सूचना मिलते ही एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (ARD) के सदस्य मौके पर पहुंचे और प्रदर्शन किया। डॉक्टरों ने कहा कि अस्पतालों में काम करने वाले चिकित्सकों के लिए इस तरह की हिंसा असहनीय है। डॉ. सिद्धार्थ ने पुलिस को शिकायत दी है और आरोपियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। इसके बाद सेक्टर-11 थाना पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है।

ARD के अध्यक्ष डॉ. विष्णु जिंजा ने कहा कि डॉक्टर इलाज के लिए होते हैं, ना कि हिंसा का शिकार बनने के लिए। उन्होंने पीजीआई निदेशक से मिलकर दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग की है। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि यदि डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की गई, तो वे भविष्य में काम बंद करने जैसे कदम उठा सकते हैं।

इस घटना ने 2024 की उस घटना की याद दिला दी जब कोलकाता मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर से मारपीट के विरोध में पीजीआई में OPD बंद कर दी गई थी। तब अस्पताल प्रशासन ने सुरक्षा बढ़ाने के दावे किए थे, लेकिन हालिया घटना उन दावों की सच्चाई सामने लाती है।

अस्पताल में लगे कुल 904 सीसीटीवी कैमरों में से 86 कैमरे लंबे समय से खराब हैं। कई कैमरे रिसर्च ब्लॉक, डॉक्टर हॉस्टल और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में लगे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि अस्पताल की सुरक्षा आखिर कैसे की जा रही है।

यह पहली बार नहीं है जब पीजीआई में सुरक्षा में लापरवाही सामने आई है। नवंबर 2023 में एक महिला खुद को नर्स बताकर वार्ड में दाखिल हो गई थी और एक मरीज को इंजेक्शन दे दिया, जिससे उसकी मौत हो गई थी।

डॉक्टरों ने एक स्वर में कहा है कि अब और हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यदि अस्पताल प्रशासन ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाए तो डॉक्टरों का काम करना मुश्किल हो जाएगा, जिससे मरीजों को भी भारी परेशानी झेलनी पड़ेगी।

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