हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में आज मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPIM) ने बस किराए में की गई भारी बढ़ोतरी के खिलाफ ज़ोरदार प्रदर्शन किया। यह विरोध प्रदर्शन पुराने बस स्टैंड स्थित पथ परिवहन निगम के प्रबंधक निदेशक कार्यालय के बाहर किया गया। CPIM कार्यकर्ताओं ने प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और तुरंत बढ़ा हुआ किराया वापस लेने की मांग रखी।
CPIM नेताओं का कहना है कि सरकार ने उस समय किराया बढ़ाया जब आम जनता पहले से ही महंगाई की मार झेल रही है। पार्टी के मुताबिक, न्यूनतम बस किराया सीधे 5 रुपये से बढ़ाकर 10 रुपये कर दिया गया है, जो कि 100% की बढ़ोतरी है। इससे हर रोज बस से यात्रा करने वाले लोगों पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है।
पार्टी नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने जब देश भारत-पाक तनाव जैसी संवेदनशील स्थिति से गुजर रहा था, उसी समय चुपचाप 15% किराया बढ़ा दिया, ताकि जनता का ध्यान भटकाया जा सके और विरोध की आवाजें ना उठें। इसके साथ ही छात्रों के बस पास की दरें भी बढ़ा दी गई हैं, जिससे पढ़ाई करने वाले बच्चों और उनके माता-पिता पर अतिरिक्त आर्थिक भार पड़ा है।
CPIM नेताओं ने निजी स्कूल बस सेवाओं की ओर भी ध्यान दिलाया। उनका कहना है कि पहले छात्रों से 600 रुपये मासिक बस किराया लिया जाता था, लेकिन अब यह बढ़ाकर 1800 रुपये कर दिया गया है। यह बदलाव आम परिवारों के लिए चिंता का विषय बन गया है।
CPIM के प्रदेश सचिव संजय चौहान ने कहा कि यह प्रदर्शन सिर्फ एक चेतावनी है। उन्होंने बताया कि इस मुद्दे को लेकर उपमुख्यमंत्री और परिवहन मंत्री को ज्ञापन भी सौंपा गया है। पार्टी की मांग है कि सरकार तुरंत बढ़ा हुआ बस किराया वापस ले। चौहान ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने अपनी नीति में बदलाव नहीं किया तो जनता को एकजुट कर बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा।
प्रदर्शन के दौरान लोगों में साफ़ नाराज़गी देखी गई और यह साफ जाहिर हो रहा है कि प्रदेश की जनता इस फैसले से खुश नहीं है। CPIM का कहना है कि हिमाचल अब उन राज्यों में शामिल हो गया है जहां बस यात्रा सबसे महंगी हो गई है। पार्टी का कहना है कि यह लड़ाई आम आदमी के हक के लिए है और इसे वे किसी भी कीमत पर जारी रखेंगे।