ग्वालियर हाईकोर्ट में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा लगाने को लेकर चल रहा विवाद अब और गंभीर हो गया है। इस मुद्दे में अब दलित संगठन भीम सेना भी खुलकर सामने आ गया है। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नवाब सतपाल तंवर ने चेतावनी भरे शब्दों में कहा है कि यदि ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में बाबा साहब की प्रतिमा नहीं लगाई गई, तो जयपुर हाईकोर्ट में स्थित मनु की प्रतिमा को भी नहीं रहने दिया जाएगा।
गुरुग्राम से जारी एक वीडियो संदेश में सतपाल तंवर ने कहा कि अंबेडकर की प्रतिमा को लगाने से रोकना न केवल संविधान निर्माता का अपमान है, बल्कि यह पूरे अनुसूचित जाति (SC) समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने देश को संविधान दिया और समाज के दबे-कुचले वर्गों को उठाने का ऐतिहासिक कार्य किया। ऐसे में उनकी प्रतिमा का विरोध सरासर अनुचित है।
भीम सेना ने इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया पर एक विवादास्पद पोस्टर और वीडियो भी साझा किया है, जिसमें सरकार को चेतावनी दी गई है कि अगर मांगे पूरी नहीं हुईं, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। संगठन का कहना है कि वे शांति से अपनी बात रखेंगे, लेकिन अनदेखी की गई तो देशव्यापी विरोध प्रदर्शन भी हो सकता है।
इस चेतावनी के बाद सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर और आसपास के इलाकों में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। साथ ही, जयपुर हाईकोर्ट के आसपास भी निगरानी बढ़ा दी गई है ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके।
विवाद की शुरुआत तब हुई जब ग्वालियर हाईकोर्ट की बिल्डिंग कमेटी ने परिसर में अंबेडकर प्रतिमा लगाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। जबकि प्रतिमा स्थापना के पक्ष में खड़े वकीलों का कहना है कि उन्हें 14 मई को अनुमति मिल चुकी थी, लेकिन कुछ वकीलों के विरोध के चलते यह कार्य रोक दिया गया।
अब भीम सेना के सक्रिय होने से इस मामले ने जातिगत रूप ले लिया है। मध्यप्रदेश सरकार ने इस मुद्दे पर किसी भी तरह की बयानबाजी से अफसरों को मना किया है, लेकिन इसके बावजूद विवाद लगातार गहराता जा रहा है।