हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल चारना में 10वीं कक्षा का रिजल्ट बेहद चौंकाने वाला रहा। स्कूल के सभी 21 छात्र परीक्षा में फेल हो गए। इनमें से तीन को कंपार्टमेंट जरूर मिली है, लेकिन एक भी छात्र पास नहीं हो सका। सबसे ज्यादा बच्चे गणित और साइंस में फेल हुए हैं। इस खराब परिणाम के पीछे सबसे बड़ी वजह स्कूल में शिक्षकों की कमी मानी जा रही है।
स्कूल प्रबंधन समिति (SMC) के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह वर्मा ने बताया कि पिछले साल से ही स्कूल में प्रिंसिपल, टीजीटी (नॉन मेडिकल), पीटीआई और कंप्यूटर टीचर जैसे पांच पद खाली हैं। उन्होंने कहा कि अभिभावकों और समिति ने कई बार शिक्षा मंत्री, विधायक और शिक्षा विभाग के अधिकारियों से शिक्षकों की नियुक्ति की मांग की, लेकिन किसी ने भी समस्या का समाधान नहीं किया। नतीजा यह हुआ कि छात्रों को पूरे साल किसी योग्य शिक्षक से पढ़ाई नहीं मिल सकी।
12वीं कक्षा का हाल भी कुछ खास नहीं रहा। यहां 16 में से 6 छात्र फेल हो गए हैं। अभिभावकों में भारी नाराजगी है और कई लोग अब अपने बच्चों को इस स्कूल से निकालने की योजना बना चुके हैं। स्कूल की बिल्डिंग की हालत भी जर्जर है, बारिश के दिनों में बच्चों का बैठना भी मुश्किल हो जाता है।
प्रदेश के अन्य स्कूलों की हालत भी कुछ खास नहीं है। लाहौल-स्पीति जिले के सलग्रां स्कूल में 12वीं के तीनों छात्र फेल हो गए, जबकि वहां चार शिक्षक तैनात थे। वहीं शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर के गृह क्षेत्र के धार पौटा स्कूल में भी 10वीं के सभी छह छात्र फेल हो गए। वहां मैथ का शिक्षक एक साल से स्टडी लीव पर है, मगर उसकी जगह कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई।
हालांकि प्रदेश स्तर पर देखा जाए तो इस साल बोर्ड परीक्षा में सुधार जरूर हुआ है। 10वीं का रिजल्ट 79.08% और 12वीं का 83.16% रहा, जो पिछले साल की तुलना में बेहतर है। लेकिन कुछ स्कूलों की बदहाली ने शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।