Thursday, August 14, 2025

पाकिस्तान आया औकात में : पहलगाम अटैक की जांच में होंगे शामिल : शरीफ

पहलगाम में हुए हमले के बाद भारत द्वारा हम पर आरोप लगाना इस बात का उदाहरण है कि लगातार बिना सबूत के हमें निशाना बनाया जाता है।

जम्मू-कश्मीर : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए गए हैं, जिसका असर अब पाकिस्तान पर होते दिख रहा है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बयान देते हुए पहलगाम हमले की जांच में सहयोग करने की बात कही है।

- Advertisement -

शहबाज शरीफ ने आज खैबर पख्तूनख्वा के काकुल में एक परेड को संबोधित किया था. यह पाकिस्तान सैन्य अकादमी में सेना के कैडेटों की पासिंग-आउट परेड थी. उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि पहलगाम में हुए हमले के बाद भारत द्वारा हम पर आरोप लगाना इस बात का उदाहरण है कि लगातार बिना सबूत के हमें निशाना बनाया जाता है. इस आरोप लगाने की नीति को अब पूरी तरह से खत्म करने की जरूरत है. इसलिए एक जिम्मेदार देश के रूप में अपनी भूमिका निभाते हुए पाकिस्तान किसी भी तरह की जांच में सहयोग करने के लिए तैयार है।

सहयोग कि बात करते हुए शहबाज शरीफ ने भारत को चेतावनी देने की कोशिश की. उन्होने सिंधु नदी समझौते के बारे बात करते हुए कहा की ‘पाकिस्तान में आने वाले पानी को मोड़ने और कम करने की कोशिश करने वालों को जोरदार तरीके से जवाब दिया जाएगा’. शहबाज शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ उठाए गए हर एक कदम का जवाब वह देने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. कोई भी इस गलतफहमी में न रहे कि हम जवाब नहीं देंगे. हमारे देश में 240 मिलियन लोगों का घर है. हमारे सामने हमारी सुरक्षा के लिए बहादुर सशस्त्र बल हैं. यह संदेश सभी के लिए साफ हो जाना चाहिए. शहबाज शरीफ ने आगे कहा कि भले ही शांति हमारे देश की प्राथमिकता है, लेकिन हम अपनी अखंडता और सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं करने वाले हैं।

शहबाज शरीफ के बयान से पहले पाकिस्तान के एक नेता बिलावल भुट्टो ने सिंधु नदी के पास सखर में एक जनसंबोधन किया था. इस जनसंबोधन में उन्होंने सिंधु नदी का मुद्दा उठाया. भुट्टो ने कहा कि मैं यह साफ कर देना चाहता हूं कि सिंधु नदी हमारी है. इस पर हमारा हक है. इस नदी में यह तो अब पानी बहेगा या तो उन लोगों का खून जो इस नदी में हमारी हिस्सेदारी खत्म करना चाहते हैं। सिंधु जल संधि को इंडस वाटर ट्रीटी भी कहा जाता है. यह भारत और पाकिस्तान के बीच एक छह नदियों के जल के बंटवारे का समझौता है, जो कि 19 सितंबर 1960 को हुआ था. 1947 में आजादी मिलने के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों में ही पानी के बंटवारे को लेकर विवाद शुरू हो गया था. ये सभी नदियां सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, व्यास और सतलज भारत और पाकिस्तान में बहती हैं. पाकिस्तान का आरोप था कि भारत इन नदियों पर बांध बनाकर पानी का दोहन करता है, जिससे उसके इलाके में पानी कम आता है और वहां सूखा जैसी स्थिति बनी रहती है।

E-Paper
RELATED ARTICLES

Most Popular




More forecasts: oneweather.org