रायपुररानी, 5 अप्रैल | देवेंद्र सिंह
राजकीय आदर्श संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय रायपुररानी में एक बड़ा प्रशासनिक लापरवाही का मामला सामने आया है, जहां पुरानी बिल्डिंग को गिराकर नए निर्माण के लिए बनाए गए अस्थायी ढांचे ने छात्रों और स्टाफ की सुरक्षा को गंभीर खतरे में डाल दिया है। शिक्षा विभाग द्वारा विद्यालय की पुरानी इमारत को कंडम घोषित कर तोड़ने की प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन इसके साथ ही जो कार्यशैली अपनाई गई, उसने व्यवस्थागत जिम्मेदारी और सुरक्षा मानकों की गंभीर अनदेखी को उजागर कर दिया है।
विद्यालय प्रांगण में एक तरफ अस्थायी बेंचों का ढांचा तैयार किया गया है, जो न तो तकनीकी रूप से मजबूत है, न ही सुरक्षा की दृष्टि से उचित। यह ढांचा बिना किसी सुरक्षात्मक घेरे और निरीक्षण के तैयार कर छात्रों और शिक्षकों के लिए दुर्घटना की संभावना को बढ़ा रहा है। स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि इस तरह का अस्थायी निर्माण, विशेष रूप से विद्यालय जैसी संवेदनशील जगह पर, बेहद खतरनाक है।
विद्यालय प्रशासन का असंवेदनशील रवैया
इस पूरे मामले में विद्यालय प्राचार्य सरोज देवी की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। जब रिपोर्टर ने 2:28 बजे फोन कर इस लापरवाही से अवगत कराया, तो उन्होंने “मैं मीटिंग में हूं” कहकर फोन काट दिया। यह प्रतिक्रिया स्पष्ट करती है कि प्रशासन इस गंभीर मुद्दे को लेकर संवेदनशील नहीं है। प्राचार्य की यह चुप्पी और ठेकेदार की मनमानी व्यवस्था इस बात का संकेत देती है कि मामला सिर्फ लापरवाही तक सीमित नहीं, बल्कि गहरी मिलीभगत की ओर इशारा करता है।
ठेकेदार और प्रबंधन पर सवाल
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, ठेकेदार ने अस्थायी ढांचा खड़ा करते समय न तो सुरक्षा मानकों का पालन किया और न ही अधिकारियों से किसी प्रकार की अनुमति ली। न तो किसी इंजीनियरिंग निरीक्षण की पुष्टि हुई है और न ही सुरक्षा उपायों के कोई साक्ष्य मौजूद हैं। ऐसे में यह भी सवाल उठता है कि क्या ठेकेदार को स्कूल प्रबंधन की आड़ में अनुचित लाभ पहुंचाया जा रहा है?
पांच बड़े सवाल जो अब भी अनुत्तरित हैं:
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क्या अस्थायी ढांचा बनाते समय तकनीकी और सुरक्षा मानकों का पालन किया गया?
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विद्यालय प्रबंधन ने छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोई योजना क्यों नहीं बनाई?
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क्या ठेकेदार को जवाबदेह ठहराने के लिए कोई ठोस कदम उठाए गए हैं?
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क्या इस निर्माण प्रक्रिया में सरकारी नियमों की अनदेखी कर ठेकेदार को अनुचित लाभ दिया गया?
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प्राचार्य की चुप्पी और स्कूल प्रबंधन का रवैया क्या इस पूरे मामले में मिलीभगत की पुष्टि नहीं करता?
जनता की प्रतिक्रिया – जिम्मेदारों से सख्त कार्रवाई की मांग
सामाजिक कार्यकर्ता कपिल देव मोदगिल का कहना है, “विद्यालय प्रांगण में ऐसा ढांचा बनाना छात्रों की सुरक्षा के साथ गंभीर खिलवाड़ है। यदि यह कभी गिर गया तो बड़ा हादसा हो सकता है। सरकार को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।”
वहीं, श्री दुर्गा सेवा एवं निर्माण समिति के प्रधान अनिल राय ने कहा, “सरकारी स्कूलों में इस तरह की लापरवाही अस्वीकार्य है। यह केवल ठेकेदार को लाभ देने का प्रयास नहीं, बल्कि बच्चों की जान को खतरे में डालने जैसा है।”
जिला शिक्षा अधिकारी ने दिए जांच के आदेश
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला शिक्षा अधिकारी सतपाल कौशिक ने सोमवार को अस्थायी ढांचे की तकनीकी जांच कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि, “यदि किसी भी प्रकार की खामी पाई जाती है, तो न केवल निर्माण कार्य को रोका जाएगा, बल्कि विद्यालय प्रबंधन और ठेकेदार दोनों से जवाब-तलबी की जाएगी। छात्रों और शिक्षकों की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है और किसी प्रकार की लापरवाही स्वीकार नहीं की जाएगी।”