थायरॉइड विकारों की बेहतर समझ और उपचार को समर्पित बहुप्रतीक्षित द्वितीय रस्तोगी-डैश क्लिनिकल केस कॉन्फ्रेंस का आज पीजीआईएमईआर में भव्य शुभारंभ हुआ। यह सम्मेलन देशभर से आए प्रमुख एंडोक्रिनोलॉजिस्ट और स्वास्थ्य विशेषज्ञों को एक मंच पर लेकर आया है।
प्रो. विवेक लाल, निदेशक, पीजीआईएमईआर, ने मुख्य अतिथि के रूप में सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा, “मैं आज यहां खड़े होकर गर्व महसूस कर रहा हूं, जब मैं हमारे विभाग के पूर्व दिग्गजों—प्रो. जी.के. रस्तोगी और प्रो. आर.जे. डैश—के योगदान को याद करता हूं, जिन्होंने आज की उत्कृष्टता की नींव रखी।” उन्होंने संस्थान के सतत विकास और समर्पण की भावना को रेखांकित किया।
प्रो. लाल ने विभाग की उत्कृष्ट रोगी सेवा की सराहना करते हुए कहा, “एंडोक्रिनोलॉजी विभाग रोगी सेवा का प्रकाशस्तंभ बना हुआ है, जो इसकी टीम के समर्पण का प्रमाण है।” उन्होंने कहा कि यह प्रतिबद्धता उस समय भी कायम है जब समूची स्वास्थ्य व्यवस्था कई चुनौतियों से जूझ रही है।
आगे की योजनाओं को साझा करते हुए उन्होंने कहा, “हम सरांपुर में एक नया सेंटर बना रहे हैं ताकि अपनी क्षमताओं को और ऊंचा किया जा सके। वित्तीय चुनौतियों के बावजूद हम अपनी आवश्यकताओं को लेकर सक्रिय रूप से प्रयासरत हैं।”
प्रो. संजय भड़ाडा, विभागाध्यक्ष एंडोक्रिनोलॉजी व आयोजन अध्यक्ष, ने विभाग की यात्रा पर प्रकाश डाला। “हमने केवल दो-तीन फैकल्टी सदस्यों से शुरुआत की थी, और आज हमारे पास आठ फैकल्टी, 14 पीएचडी छात्र और 13 डीएम रेजिडेंट हैं। हमारी छात्र संख्या अब लगभग 100 तक पहुंच चुकी है, जो हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।”
उन्होंने यह भी गर्व से बताया कि भारत का पहला डीएम कार्यक्रम एंडोक्रिनोलॉजी में यहीं से शुरू हुआ था, और प्रो. डैश, पहले डीएम छात्र होने के नाते, भविष्य की पीढ़ियों के लिए उच्च मानदंड स्थापित करने में अग्रणी रहे। उन्होंने कहा, “हर साल पीजीआईएमईआर में लगभग 30 लाख मरीज आते हैं, जिनमें से लगभग 5% ओपीडी केस हमारे विभाग द्वारा देखे जाते हैं।”
प्रो. भड़ाडा ने देशभर से आए पूर्व छात्रों और सहयोगियों के प्रति आभार जताया। “हमारे लगभग 80% पूर्व छात्र आज यहां उपस्थित हैं—कश्मीर से कन्याकुमारी तक—यह हमारी एकजुटता और एंडोक्रिनोलॉजी के प्रति साझा समर्पण का प्रमाण है।”
सम्मेलन के दौरान प्रो. जी.के. रस्तोगी और प्रो. आर.जे. डैश को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई, जिनके योगदानों ने आधुनिक एंडोक्रिनोलॉजी की नींव रखी।
डॉ. एम. वी. मुरलीधरन को एंडोक्रिनोलॉजी के क्षेत्र में उनके दशकों के योगदान के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।
सम्मेलन के पहले दिन विभिन्न जटिल थायरॉइड मामलों की गहन चर्चा की गई। डॉ. सक्ष्म पांडे ने थायरॉइड-एसोसिएटेड ऑप्थैल्मोपैथी (TAO) पर केस प्रस्तुत किया, जिसके बाद डॉ. विवेक झा ने यूथायरॉइड ग्रेव्स डिज़ीज़ पर प्रकाश डाला। डॉ. सौम्य रंजन ने टर्नर सिंड्रोम पर चर्चा की, जबकि डॉ. प्रीति नामजोशी ने प्लाज्माफेरेसिस की नवोन्मेषी विधियों को प्रस्तुत किया। इसके अलावा थायरॉइड कैंसर और दुर्लभ स्थितियों से जुड़े विविध केस रिपोर्ट्स ने दर्शकों को ज्ञानवर्धक अनुभव प्रदान किया।
6 अप्रैल, 2025 को सम्मेलन के दूसरे दिन थायरॉइड के आनुवंशिक विकारों और टीएसएचोमा पर केंद्रित सत्र होंगे। इस दिन डॉ. आयुष अग्रवाल का “थायरॉइड की मौन बगावत” शीर्षक केस हार्मोनल प्रतिरोध पर केंद्रित होगा। डॉ. मंगेश पाठाडे दुर्लभ लक्षणों के निदान की चुनौतियों पर चर्चा करेंगे, जबकि डॉ. वी. सुरेश फंक्शनिंग पिट्यूटरी मैक्रोएडेनोमा पर केस प्रस्तुत करेंगे। इसके बाद डॉ. रवि शाह टीएसएच के असमर्थन के मामलों में अपनी विशेषज्ञता साझा करेंगे।
करीब 300 स्वास्थ्य विशेषज्ञ—जिनमें एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, जनरल फिजिशियन, सर्जन, रेडियोलॉजिस्ट, पैथोलॉजिस्ट और पीजी छात्र शामिल हैं—इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं, जो थायरॉइड विकारों की देखभाल में नवीनतम नवाचारों और विशेषज्ञता का उत्सव है। यह सम्मेलन पीजीआईएमईआर की चिकित्सीय उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बन गया है।