मोहाली: शहर के एक प्रतिष्ठित प्राइवेट स्कूल द्वारा तीसरी कक्षा के छात्रों की यूनिफॉर्म में अचानक बदलाव करने का मामला इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। स्कूल प्रशासन द्वारा ड्रेस कोड में किए गए इस बदलाव को लेकर अभिभावकों में भारी नाराजगी देखने को मिल रही है। अभिभावकों का कहना है कि बिना किसी पूर्व सूचना के पुरानी यूनिफॉर्म को अचानक बदलना न सिर्फ असुविधाजनक है बल्कि आर्थिक रूप से भी भारी पड़ रहा है।
अभिभावकों का कहना है कि नए ड्रेस कोड के लागू होने से उन्हें अपने बच्चों के लिए पूरी नई यूनिफॉर्म खरीदनी पड़ रही है, जो न सिर्फ काफी महंगी है बल्कि केवल चुनिंदा दुकानों पर ही उपलब्ध है। इससे आम अभिभावकों पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है।
स्कूल की तीसरी कक्षा के बच्चों के लिए निर्धारित की गई नई शर्ट की कीमत 590 रुपए रखी गई है, जो कि पहले की शर्ट की तुलना में ₹150 अधिक है। यही नहीं, बेल्ट की कीमत भी पहले ₹80 थी, जिसे अब बढ़ाकर 150 रुपए कर दिया गया है।
शूज की कीमत सुनकर अभिभावक हुए हैरान
बदलाव सिर्फ ड्रेस और बेल्ट तक ही सीमित नहीं है। प्लेवे और नर्सरी क्लास के छोटे बच्चों के शूज में भी बदलाव किया गया है। स्कूल की ओर से सुझाए गए नए स्पोर्ट्स शूज की कीमत ₹800 तक रखी गई है, जिसे लेकर अभिभावकों का कहना है कि इतनी छोटी उम्र के बच्चों के लिए इतनी महंगी शूज अनावश्यक हैं।
चुनिंदा दुकानों पर ही उपलब्ध हैं यूनिफॉर्म और शूज
अभिभावकों ने आरोप लगाया है कि नई यूनिफॉर्म और शूज केवल कुछ ही दुकानों पर उपलब्ध करवाई जा रही हैं, जिनके बड़े-बड़े बैनर स्कूल गेट और दीवारों पर लगाए गए हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि स्कूल प्रबंधन और कुछ दुकानदारों के बीच मिलीभगत है, और संभवतः कमीशन के लालच में यह बदलाव किया गया है।
इस पूरे मामले पर अभिभावकों का कहना है कि अगर यूनिफॉर्म बदलनी ही थी, तो इसकी जानकारी सत्र की शुरुआत से पहले दी जानी चाहिए थी, ताकि उन्हें तैयार रहने का समय मिल पाता और वे सस्ते व विकल्पीय साधनों से खरीददारी कर सकते।
प्रशासन से कार्रवाई की मांग
अभिभावकों ने प्रशासन से इस मामले में हस्तक्षेप कर जांच कराने की मांग की है। उनका कहना है कि शिक्षा एक सेवा है, न कि व्यापार, और स्कूलों को बच्चों की शिक्षा के नाम पर इस प्रकार की मनमानी नहीं करने दी जानी चाहिए।
मोहाली के इस स्कूल की शहर में तीन से चार शाखाएं हैं, और यदि इस तरह का ट्रेंड चलता रहा, तो अन्य स्कूल भी इसी राह पर चल सकते हैं, जिससे आम लोगों के लिए शिक्षा और भी महंगी और बोझिल हो जाएगी।