Thursday, August 14, 2025

आदित्य ठाकुर न्याय आंदोलन: 12.5 लाख मुआवजा और आदित्य ठाकुर की बहन को मुफ्त शिक्षा

चंडीगढ़ स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी (PU) में छात्र आदित्य ठाकुर को न्याय दिलाने की मांग को लेकर पिछले कई दिनों से चल रहा प्रदर्शन आज समाप्त हो गया। प्रदर्शनकारी छात्रों और आदित्य के परिवार को बड़ी राहत मिली, जब विश्वविद्यालय प्रशासन ने सभी प्रमुख मांगों को स्वीकार कर लिया। विश्वविद्यालय की कुलपति (VC) रेनू विग ने 12.5 लाख रुपये की अनुग्रह राशि  प्रदान करने और आदित्य की बहन को पंजाब यूनिवर्सिटी और इसके क्षेत्रीय केंद्रों तथा संबद्ध कॉलेजों में मुफ्त शिक्षा देने की घोषणा की।

आज सुबह आदित्य ठाकुर के परिवार के सदस्यों और विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में कुलपति रेनू विग ने आदित्य के परिवार की मांगों पर सकारात्मक रुख अपनाते हुए उनकी आर्थिक सहायता और बहन की शिक्षा का पूरा खर्च उठाने का आश्वासन दिया। इसके अलावा, कुलपति ने इस मामले की निगरानी के लिए एक विशेष समिति गठित करने की भी घोषणा की, जिसमें वरिष्ठ शिक्षाविद और प्रशासनिक अधिकारी शामिल हैं।

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गठित समिति में प्रो. इम्मानुएल नाहर, प्रो. नंदिता, प्रो. नवदीप गोयल, डीन स्टूडेंट वेलफेयर (DSW), डीन स्टूडेंट वेलफेयर (महिला), और एसोसिएट DSW को शामिल किया गया है। दोपहर में इस समिति द्वारा एक आधिकारिक अधिसूचना भी जारी की गई, जिसमें सभी निर्णयों की पुष्टि की गई और प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों का विवरण दिया गया।

लापरवाह अधिकारियों पर होगी कार्रवाई, मजिस्ट्रेट जांच जारी

प्रदर्शनकारी छात्रों की एक और प्रमुख मांग थी कि इस पूरे मामले में जो भी अधिकारी लापरवाही के दोषी पाए जाएं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। इस पर कुलपति रेनू विग ने स्पष्ट किया कि इस मामले में पहले से ही एक मजिस्ट्रेट जांच चल रही है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। विश्वविद्यालय प्रशासन ने आश्वासन दिया कि किसी भी स्तर पर अनदेखी या भ्रष्टाचार पाए जाने पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

इससे पहले, प्रदर्शनकारी छात्रों ने मांग की थी कि दोषी अधिकारियों को निलंबित किया जाए और जांच निष्पक्ष रूप से की जाए। प्रशासन के इस आश्वासन के बाद छात्रों ने प्रदर्शन समाप्त करने का निर्णय लिया।

छात्र संगठनों का बड़ा समर्थन, आदित्य के परिवार ने जताया आभार

आदित्य ठाकुर के मामा विकाश (मामाजी) ने प्रदर्शन कर रहे छात्रों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह संघर्ष छात्रों के समर्थन और एकजुटता के बिना संभव नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि अगर छात्र इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं उठाते तो विश्वविद्यालय प्रशासन इतनी जल्दी निर्णय नहीं लेता।

इस प्रदर्शन में विभिन्न छात्र संगठनों और स्वतंत्र छात्र नेताओं ने भाग लिया। इनमें अनुराग, जशन, जस्सी राणा, राजविंदर, दिव्यांश, अशमीत मान, दर्शप्रीत, रजत पुरी, विशाल मलिक, नवप्रीत गंगा, अवनीत नेगी, अनुशका और दिवांशी सहित कई छात्र शामिल थे। सभी छात्रों ने एकजुट होकर न्याय की मांग की और प्रशासन पर दबाव बनाए रखा।

छात्रों की जीत, लेकिन संघर्ष अभी बाकी

हालांकि पंजाब यूनिवर्सिटी प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगों को स्वीकार कर लिया है, लेकिन छात्र अभी भी चंडीगढ़ पुलिस और प्रशासन से अन्य संबंधित मांगों को पूरा करने की अपील कर रहे हैं। छात्रों का कहना है कि वे इस मुद्दे को पूरी तरह से तब तक नहीं छोड़ेंगे, जब तक सभी दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं हो जाती और प्रशासन भविष्य में ऐसी किसी भी लापरवाही को रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाता।

इस पूरे घटनाक्रम ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर बड़ा संदेश दिया है। छात्रों का कहना है कि इस तरह की एकजुटता ही किसी भी अन्याय के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार है और वे भविष्य में भी अन्याय के खिलाफ इसी तरह लड़ाई लड़ते रहेंगे।

प्रदर्शन के शांतिपूर्ण समापन के बाद अब सभी की निगाहें प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं। विश्वविद्यालय ने अपनी ओर से कदम उठा लिए हैं, लेकिन छात्रों का संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक आदित्य ठाकुर को पूरी तरह से न्याय नहीं मिल जाता।

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