भरत अग्रवाल, चंडीगढ़ दिनभर।
बुधवार दोपहर चंडीगढ़ की व्यस्त सड़कों पर एक ऐसा दृश्य देखने को मिला, जिसने न सिर्फ एक जिंदगी बचाई बल्कि इंसानियत की मिसाल भी कायम की। यह घटना दोपहर करीब 2 बजे की है, जब मुल्लापुर निवासी जॉकी अपनी गाड़ी में सेक्टर 48 से घर लौट रहा था। अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गई, और उसकी गाड़ी लड़खड़ाते हुए बीच सड़क पर ही रुक गई। राहगीरों को इस असामान्य स्थिति का आभास तो हुआ, लेकिन किसी ने उसे करीब जाकर देखने की जहमत नहीं उठाई।
हालांकि, सेक्टर 53 और 54 के बीच स्थित फर्नीचर मार्केट चौराहे पर ड्यूटी कर रहे चंडीगढ़ पुलिस के कुछ जवानों की नजर इस गाड़ी पर पड़ी। गाड़ी बीच सड़क पर बंद होने और कोई हरकत न होने से उन्हें संदेह हुआ। वे दौड़ते हुए वहां पहुंचे और जब कार के भीतर झांका, तो दृश्य दिल दहलाने वाला था।
युवक बेसुध हालत में स्टेरिंग व्हील पर गिरा हुआ था, सांसें मंद हो रही थीं और शरीर लगभग निश्चल हो चुका था। पुलिस कर्मियों ने फौरन दरवाजा खोलकर उसे बाहर निकाला और बिना समय गंवाए उसे जमीन पर लिटाया। कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) देने के दौरान हर बीतता सेकंड अनमोल था। जवानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ झलक रही थीं, लेकिन उनके हाथों में संजीदगी और तत्परता थी।
कुछ ही मिनटों की मशक्कत के बाद, युवक ने हल्की-सी हरकत की, उसकी सांसें तेज हुईं और धीरे-धीरे उसने आंखें खोल दीं। जैसे ही उसने होश संभाला, वहां मौजूद हर किसी की आंखों में राहत के आंसू छलक पड़े।
युवक ने कांपती आवाज़ में बताया कि उसे हार्ट की समस्या है, जिसका इलाज चल रहा है। लेकिन आज अचानक सीने में असहनीय दर्द उठा और वह गाड़ी पर से नियंत्रण खो बैठा। अगर पुलिस समय पर न पहुंचती, तो शायद यह कहानी कुछ और ही होती। चंडीगढ़ पुलिस ने न सिर्फ एक जान बचाई, बल्कि मानवता का सबसे खूबसूरत चेहरा भी दिखाया। अगर वे भी आम राहगीरों की तरह इसे नजरअंदाज कर देते, तो आज एक परिवार किसी अपने को खोने का गम झेल रहा होता।