पुणे में हाल ही में आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख
मोहन भागवत ने देशवासियों से विभाजनकारी विचारधाराओं को अस्वीकार करने और
शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने धार्मिक स्थलों को
लेकर उठ रहे विवादों, जैसे कि उत्तर प्रदेश के संभल में शाही जामा मस्जिद और
राजस्थान के अजमेर शरीफ के मुद्दों पर चर्चा करते हुए कहा कि इन विवादों को
बढ़ावा देना भारत की एकता के लिए हानिकारक है।
भागवत ने कहा, “भारत को यह दिखाना चाहिए कि कैसे विभिन्न आस्थाएं और
विचारधाराएं एक साथ सद्भाव में रह सकती हैं।” उन्होंने नागरिकों से इतिहास से
सीखने और उन गलतियों को न दोहराने का आह्वान किया, जिनसे समाज में फूट पड़ती
है।
उन्होंने यह भी कहा कि देश की प्राचीन संस्कृति और परंपराएं विविधता को अपनाने
और विभाजन को कम करने में सहायक हैं।
भागवत ने धार्मिक स्थलों से जुड़े विवादों के बढ़ने पर चिंता जताई और कहा कि
ऐसे मुद्दे न केवल घरेलू तनाव को बढ़ाते हैं, बल्कि भारत की वैश्विक छवि को भी
नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने लोगों और समूहों से आग्रह किया कि वे व्यक्तिगत
या राजनीतिक लाभ के लिए धार्मिक मतभेदों का शोषण न करें।