Thursday, August 14, 2025

नगर निगम मेयर चुनाव: आप जाएगी कोर्ट, चुनाव फरवरी में कराने की करेगी मांग

भरत अग्रवाल,चंडीगढ़ दिनभर।
चंडीगढ़: नगर निगम के मेयर चुनाव को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है।
मेयर चुनाव 24 जनवरी और सीक्रेट वोटिंग के जरिए कराने के चंडीगढ़ प्रशासन के
फैसले को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) ने अब अदालत का दरवाजा खटखटाने का निर्णय
लिया है।
आम आदमी पार्टी का कहना है कि वर्तमान मेयर का कार्यकाल अभी एक वर्ष पूरा नहीं
हुआ है, इसलिए चुनाव फरवरी में होने चाहिए। आप का तर्क है कि प्रशासन का जनवरी
में चुनाव कराने का फैसला नियमों के खिलाफ है और इससे पारदर्शिता पर भी सवाल
खड़े होते हैं। पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि वह जल्द ही कोर्ट में याचिका
दायर करेगी और मांग करेगी कि चुनाव फरवरी में कराए जाएं।
आप पहले से ही हाथ उठाकर वोटिंग की मांग कर रही थी ताकि चुनाव प्रक्रिया
पारदर्शी रहे। लेकिन प्रशासन ने यह मांग भी खारिज कर दी और सीक्रेट वोटिंग के
जरिए चुनाव कराने का फैसला लिया। इसे लेकर भी आप नाराज है और इसे
गैर-लोकतांत्रिक करार दे रही है।
आप चंडीगढ़ के सहप्रभारी डॉ. सन्नी एस. आहलूवालिया के मुताबिक प्रशासन का
फरवरी के बजाय जनवरी में चुनाव कराने का निर्णय जल्दबाजी में लिया गया है। यह
फैसला बिना उचित परामर्श के लिया गया है और यह चंडीगढ़ के प्रशासनिक नियमों के
अनुरूप नहीं है। इसलिए आप चंडीगढ़ इस फैसले के खिलाफ कोर्ट में याचिका डालेगी।
इस घटनाक्रम से चंडीगढ़ का राजनीतिक माहौल गरमा गया है। जहां आम आदमी पार्टी
कोर्ट में जाने की तैयारी कर रही है, वहीं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) भी
अपनी रणनीति पर काम कर रहे हैं। बीजेपी अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए हरप्रीत
कौर बबला को मेयर पद का उम्मीदवार बनाने की योजना पर आगे बढ़ रही है। दूसरी
ओर, कांग्रेस भी इस मुद्दे पर आप के साथ खड़ी नजर आ रही है।
चंडीगढ़ प्रशासन ने आप की मांगों को खारिज करते हुए कहा है कि चुनाव तय तिथि
24 जनवरी को ही होंगे। यह फैसला नगर निगम के नियमों और प्रक्रिया के तहत लिया
गया है और इसमें किसी प्रकार का बदलाव संभव नहीं है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आप की याचिका पर अदालत क्या फैसला सुनाती है। अगर
अदालत चुनाव को फरवरी तक टालने का निर्देश देती है, तो यह प्रशासन के लिए एक
बड़ा झटका होगा। वहीं, अगर याचिका खारिज होती है, तो चुनाव 24 जनवरी को तय
कार्यक्रम के अनुसार होंगे।
चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर चुनाव 24 जनवरी को सीक्रेट वोटिंग के माध्यम से
आयोजित किए जाएंगे। इस फैसले ने आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की उस मांग को
खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने हाथ उठाकर वोटिंग करने और चुनाव फरवरी में
कराने का आग्रह किया था। चंडीगढ़ प्रशासन के इस निर्णय के बाद राजनीतिक
गलियारों में हलचल तेज हो गई है।
बता दें कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने चंडीगढ़ प्रशासन से यह अपील की थी
कि मेयर चुनाव हाथ उठाकर किया जाए ताकि पारदर्शिता बनी रहे। इसके अलावा आप ने
चुनाव फरवरी में कराने का भी सुझाव दिया था, लेकिन प्रशासन ने दोनों ही मांगों
को ठुकरा दिया। प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव निर्धारित तिथि 24
जनवरी को ही और सीक्रेट वोटिंग के माध्यम से होंगे।
आम आदमी पार्टी प्रशासन के इस फैसले से नाराज है और आगे की रणनीति पर विचार कर
रही है। पार्टी ने 8 जनवरी को एक बैठक बुलाई है जिसमें यह तय किया जाएगा कि
प्रशासन के इस निर्णय के खिलाफ क्या कदम उठाया जाए। पार्टी के कुछ पार्षदों
में भी नाराजगी की खबरें हैं, जिन्हें मनाने का प्रयास किया जा रहा है।
हालांकि, सूत्रों का कहना है कि नाराज पार्षद अपनी शर्तों पर अड़े हुए हैं,
जिससे पार्टी को मेयर पद के लिए उम्मीदवार चयन में मुश्किलें आ रही हैं।
दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) मेयर पद के लिए अपनी रणनीति पर काम कर
रही है। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी हरप्रीत कौर बबला को उम्मीदवार बना सकती
है। हरप्रीत कौर बबला का नाम पार्षदों और पार्टी नेतृत्व के बीच चर्चा में है,
और उन्हें मजबूत दावेदार माना जा रहा है।
चुनाव से पहले आप को अपने पार्षदों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। कुछ
पार्षद पार्टी की कार्यशैली से असंतुष्ट हैं और अंदरखाने उन्हें मनाने की
कोशिशें जारी हैं। नाराज पार्षदों का असंतोष पार्टी के लिए मेयर चुनाव में
मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर चुनाव में पारदर्शिता बनाए रखने का मुद्दा लंबे समय
से उठता रहा है। हाथ उठाकर वोटिंग की मांग इसी पारदर्शिता को सुनिश्चित करने
के लिए की गई थी, लेकिन प्रशासन का सीक्रेट वोटिंग पर अडिग रहना विपक्षी दलों
को असंतुष्ट कर रहा है।
इस राजनीतिक खींचतान के बीच, यह देखना दिलचस्प होगा कि मेयर चुनाव में कौन
बाजी मारता है। चंडीगढ़ में नगर निगम के चुनाव का यह दौर राजनीतिक पार्टियों
के लिए न केवल प्रतिष्ठा का सवाल है, बल्कि आगामी चुनावों के लिए भी यह एक
संकेतक साबित हो सकता है।

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