चंडीगढ़ दिनभर
चंडीगढ़:
पंजाब यूनिवर्सिटी के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व विभाग
द्वारा आयोजित कार्यक्रम में जापानी कलाकारों ने पारंपरिक जापानी कला का
अद्भुत प्रदर्शन किया। इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में छात्रों, शिक्षकों और
शोधार्थियों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया।
कार्यक्रम की शुरुआत जापानी कलाकार टी. हाशिमोटो द्वारा लाइव कैलीग्राफी
डेमोंस्ट्रेशन से हुई, जिसमें ब्रश और स्याही से लिखने की पारंपरिक जापानी कला
को दिखाया गया। इसके बाद एडो काल से प्रचलित जापानी पारंपरिक नृत्य तमासुदारे
का प्रदर्शन हुआ। इस नृत्य में चार जापानी कलाकार – वाई. हाशिमोटो, टी.
हाशिमोटो, वाई. काबुरागी और के. नाकाजिमा – ने बांस के उपकरणों को विभिन्न
आकारों में बदलते हुए मंत्रमुग्ध करने वाली कला का प्रदर्शन किया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रोफेसर सिमरित काहलों, डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर
(वूमेन), ने अपने विचार रखे। इस अवसर पर छात्रों और कलाकारों के बीच संवाद
सत्र भी हुआ, जिसमें जापानी सांस्कृतिक परंपराओं की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक
महत्व पर चर्चा की गई।
बाद में, जापानी प्रतिनिधिमंडल ने पंजाब यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रोफेसर रेनू
विग से मुलाकात की। प्रो. विग ने जापानी कलाकारों के प्रदर्शन की सराहना करते
हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम छात्रों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये
उन्हें विभिन्न संस्कृतियों को समझने और वैश्विक सहयोग के लिए प्रेरित करते
हैं।
विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर पारु बल सिद्धू ने अपने स्वागत भाषण में भारत और
जापान के बीच सांस्कृतिक संबंध मजबूत करने पर जोर दिया। कार्यक्रम का आयोजन
विभाग और पंजाब यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र डॉ. काबुरागी योशिहिरो के सहयोग से
हुआ, जिन्होंने भारत और जापान के बीच सांस्कृतिक सेतु बनाने में महत्वपूर्ण
भूमिका निभाई।
यह सांस्कृतिक प्रदर्शन भारत और जापान के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को मजबूत
करने का एक उत्कृष्ट उदाहरण रहा।