चंडीगढ़ :
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने गुलमोहर टाउनशिप इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और
उसके निदेशक के खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट) की एफआईआर
को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह मामला झूठी शिकायत के आधार पर
दर्ज किया गया, जो केवल आरोपित को परेशान करने के उद्देश्य से की गई थी।
नवजोत सिंह-कांग्रेसी नाम से दर्ज की गई थी शिकायत
हाईकोर्ट ने पाया कि यह शिकायत “नवजोत सिंह-कांग्रेसी” नामक एक अज्ञात व्यक्ति
द्वारा दर्ज कराई गई थी, जिसकी पहचान या सत्यापन कभी नहीं हुआ। शिकायत सीधे
चीफ विजिलेंस कमिश्नर से डीएसपी को भेज दी गई थी। जस्टिस महाबीर सिंह सिंधु
ने कहा, “यह स्पष्ट है कि इस शिकायत का उद्देश्य केवल याचिकाकर्ता को परेशान
करना था।”
*राज्य सरकार ने लगाए थे बड़े आरोप
राज्य सरकार ने आरोप लगाया कि गुलमोहर टाउनशिप ने 25 एकड़ जमीन, जो औद्योगिक
उपयोग के लिए आवंटित की गई थी, को बिना उचित प्रक्रिया के 125 छोटे भूखंडों
में विभाजित कर दिया। सरकार ने दावा किया कि इस प्रक्रिया से सरकारी खजाने को
भारी नुकसान हुआ।
कोर्ट ने आरोपों को बताया संदेह पर आधारित
न्यायालय ने कहा कि एफआईआर में लगाए गए आरोप केवल संदेह पर आधारित हैं। कोर्ट
ने यह भी पाया कि 2005 की नीति के तहत भूखंडों को विभाजित करने की अनुमति दी
गई थी और इस नीति का पूरे पंजाब में पालन किया गया।
सतर्कता विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल
हाईकोर्ट ने सतर्कता विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए। न्यायालय ने कहा
कि मुख्य सतर्कता आयुक्त ने शिकायतकर्ता की साख की जांच किए बिना ही कार्यवाही
शुरू कर दी।
एफआईआर रद्द करते हुए कोर्ट ने दिए निर्देश
हाईकोर्ट ने एफआईआर को खारिज करते हुए कहा कि शिकायतकर्ता की पहचान और सत्यापन
के बिना कार्रवाई करना अनुचित है। न्यायालय ने यह भी माना कि विभाजन प्रक्रिया
से सरकार को अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हुआ, इसलिए राज्य खजाने को नुकसान होने
का कोई सवाल ही नहीं उठता।