Thursday, August 14, 2025

त्योहारों से जुड़े रहें, परंपराओं को सहेजें:टंडन

चंडीगढ़, 14 जनवरी:
“हमारा देश सांस्कृतिक परम्पराओं के अनुरूप विभिन्न त्योहारों और पर्वों का ही
देश है। यहाँ के लोग अपनी परम्पराओं के अनुसार किसी विशेष अवसर को त्यौहार के
रूप में मनाकर इसे संजोते आए हैं और भावी पीढ़ियों को इसके महत्व को समझाकर
इसे आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करते हैं।” यह विचार भारतीय जनता पार्टी
चंडीगढ़ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य एवं हिमाचल प्रदेश भाजपा के सह
प्रभारी संजय टंडन ने मकरसंक्रांति के पावन अवसर पर व्यक्त किए।

संजय टंडन ने यह बात गाँव दडुआ में आयोजित पूजा-अर्चना और भंडारे के कार्यक्रम
के दौरान कही। इस कार्यक्रम का आयोजन पूर्वांचल जनकल्याण संघ चंडीगढ़ द्वारा
हनुमान मंदिर में किया गया। इस मौके पर संघ के शशिशंकर तिवारी, धर्मेंद्र
सैनी, और बलजीत सिंह सिद्धू ने संजय टंडन का भव्य स्वागत किया।

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पूजा-अर्चना और भंडारे के बाद संजय टंडन ने उपस्थित जनसमूह और समस्त
देशवासियों को मकरसंक्रांति की बधाई दी। उन्होंने कहा कि भारत में यह पर्व
विभिन्न नामों और तरीकों से मनाया जाता है—हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य भारत
में मकरसंक्रांति, उत्तराखंड में उत्तरायणी, असम में बिहू, और दक्षिण भारत में
पोंगल। भले ही ये त्योहार अलग-अलग नामों और विधियों से मनाए जाते हों, इनका
उद्देश्य आपसी एकता और भाईचारे को बढ़ावा देना है।

टंडन ने कहा कि आज के समय में लोग अपने करियर और कामकाज के लिए मूल स्थान से
दूर जाकर भी अपनी परंपराओं को सजीव रखते हैं। यह हमारे त्योहारों की असली ताकत
है कि वे हमें एकजुट रखते हैं। उन्होंने उदाहरण दिया कि लोग पतंग उड़ाते हैं,
उड़द दाल की खिचड़ी खाते हैं, अग्नि की पूजा करते हैं, और तिल-गुड़ के व्यंजन
बनाकर एक-दूसरे में बांटते हैं। पंजाब में यह पर्व एक दिन पहले लोहड़ी के रूप
में मनाया जाता है।

मकरसंक्रांति के अवसर पर प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ का उल्लेख करते हुए
टंडन ने कहा, “145 वर्षों बाद इस बार का महाकुंभ मकरसंक्रांति पर एक अनूठा
संयोग लेकर आया है। करोड़ों श्रद्धालु और साधु-संत पवित्र स्नान कर इसका पुण्य
प्राप्त कर रहे हैं। यह अपने आप में अद्भुत और विशेष है।”

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