Thursday, August 14, 2025

मुख्य मामले के रद्ध होने पर धारा 174 ए की एफआईआर पर पुनर्विचार संभव : हाईकोर्ट

चंडीगढ़ दिनभर

चंडीगढ़:

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पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि आईपीसी की धारा 174-ए
(अदालत के समन या गिरफ्तारी वारंट के बावजूद उपस्थित न होना) के तहत दर्ज
एफआईआर को केवल मुख्य मामले के रद्द होने या पक्षों के बीच समझौता हो जाने के
आधार पर स्वतः रद्द नहीं किया जा सकता। हालांकि, मुख्य मामले के निपटारे को
एफआईआर रद्द करने की याचिका पर विचार करते समय एक प्रासंगिक कारक माना जा सकता
है।

जस्टिस सुमीत गोयल* ने दलजीत सिंह बनाम हरियाणा राज्य मामले में सुप्रीम
कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि धारा 174-ए के तहत एफआईआर मुख्य
मामले से स्वतंत्र है और इसे केवल इसी आधार पर खत्म नहीं किया जा सकता कि
मुख्य मामला खत्म हो गया है।

वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता के खिलाफ नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की
धारा 138 के तहत अपराधी घोषित किया गया था। बाद में, पक्षकारों के बीच समझौता
होने के बाद मुख्य शिकायत वापस ले ली गई। इसके बावजूद, याचिकाकर्ता पर धारा
174-ए के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द करने की याचिका कोर्ट में दायर की गई।

न्यायालय का तर्क:

 

न्यायालय ने कहा कि धारा 174-ए के तहत एफआईआर एक स्वतंत्र अपराध है, जिसे
उद्घोषणा (विज्ञापन या सूचना देना) के रूप में अलग से माना जाता है।
– कानून को कठोर तकनीकी दृष्टिकोण से लागू करने के बजाय न्यायिक
व्यावहारिकता के आधार पर निर्णय लेना चाहिए।
– हाईकोर्ट की अंतर्निहित शक्तियां न्याय सुनिश्चित करने के लिए उपयोग की
जानी चाहिए।

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