चंडीगढ़:
हरियाणा गोवंश संरक्षण एवं गौ संवर्धन अधिनियम 2015 को सही ढंग से लागू नहीं
करने पर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने चिंता जताई है। हाईकोर्ट ने कहा कि यह
कानून गौ हत्या और गौ मांस की खपत पर रोक लगाने के उद्देश्य से बनाया गया था,
लेकिन इस कानून से जुड़े मुकदमों की बढ़ती संख्या यह दर्शाती है कि राज्य इस
कानून को प्रभावी ढंग से लागू करने में विफल रहा है।
जस्टिस संदीप मौदगिल ने कहा,
“हरियाणा गोवंश संरक्षण एवं गौ संवर्धन अधिनियम 2015 का मुख्य उद्देश्य
शक्तिशाली मांस लॉबी द्वारा गौ हत्या और गौ मांस के उपभोग की समस्या को
नियंत्रित करना है। लेकिन इस तरह के मामलों में वृद्धि चिंताजनक स्थिति को
उजागर करती है। राज्य को इसे अपनी असली भावना में लागू करना चाहिए।”
जमानत याचिका पर सुनवाई
यह टिप्पणी खालिद नामक याचिकाकर्ता की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान
की गई। खालिद पर भारतीय दंड संहिता की धारा 148, 149, 186, 429, 307 और गोवंश
संरक्षण अधिनियम की धारा 13(2), 17 के तहत मामला दर्ज है। यह FIR फरीदाबाद के
धौज थाना क्षेत्र में दर्ज की गई थी।
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि खालिद को गलत तरीके से मामले में फंसाया
गया है। वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता को मौके से गिरफ्तार नहीं किया गया और
उसकी हिरासत से कोई आपत्तिजनक वस्तु भी बरामद नहीं हुई।
राज्य ने किया जमानत का विरोध
राज्य के वकील ने कहा कि खालिद का नाम सह-आरोपियों के खुलासे में आया है और वह
अपराध में इस्तेमाल किए गए पिकअप वाहन का मालिक है। राज्य ने तर्क दिया कि
उसकी भूमिका का पता लगाने और हथियार बरामद करने के लिए खालिद की हिरासत में
पूछताछ जरूरी है।
कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज की
सभी तथ्यों की जांच करने के बाद, जस्टिस मौदगिल ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज
कर दी। कोर्ट ने कहा,
“केवल इस तथ्य से कि याचिकाकर्ता मौके पर नहीं मिला, उसे अग्रिम जमानत का
अधिकार नहीं मिल जाता। सह-आरोपी के बयान और पिकअप वाहन की पंजीकरण स्थिति के
आधार पर प्रथम दृष्टया मामला बनता है।”